dreams of brahmans
Wednesday, April 17, 2013
Tuesday, April 16, 2013
Thursday, March 28, 2013
shankaracharya
सरस्वती के मंदिर में नमाज क्यों?
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी सरस्वती से विशेष मुलाकातजगदगुरु उवाच -सफलता के लिए दंड नहीं धार्मिक भावना जरूरी
-धर्म का आश्रय लो, पशु बनना छोड़ दो
-सत्ता पर धर्म का नियंत्रण जरूरी होता है
शैलेंद्र जोशी (deputy news editor, dainik dabang duniya, indore-mp)
इंदौर। (25-3-13) गुलामी के वक्त हमारे देवस्थानों पर कब्रस्तान बना दिए गए। ऐसा ही प्रयास भोजशाला में हुआ। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन जब मुस्लिम भाई निराकार परमात्मा की आराधना करते हैं और मूर्ति पूजा उनके धर्म के विरुद्ध है तो फिर सरस्वती के मूर्ति स्थल पर नमाज पढऩे क्यों जाते हैं? वास्तव में देश में जितने भी धर्मात्मा राजा हुए हैं, उनमें प्रमुख थे राजा भोज, उन्होंने धार की भोजशाला में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित की थी। यहां की संस्कृति का बड़ा सम्मान था और राजा सरस्वती की आराधना करते थे। उनके राज्य में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं था जो संस्कृत नहीं जानता था। कवि कालिदास उनके सभासद थे। क्या हम इस विरासत को भूल जाएं?
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यह बात सोमवार को दैनिक दबंग दुनिया से खास मुलाकात में कही। वे द्वारका स्थित शारदा और बद्रिकाश्रम स्थित ज्योतिष मठ के पीठाधीश्वर हैं। उनका रविवार को नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ में आगमन हुआ। वे होली यहीं मनाएंगे।
संत किसी पार्टी का नहीं होता
शंकराचार्यजी ने कहा कि भोजशाला का संकट सरकारों का ही खड़ा किया हुआ है। पहले उमा भारती ने वहां सरस्वती पूजन के लिए सत्याग्रह किया था लेकिन उस वक्त जो पार्टी सत्ता में थी, क्या उसे धर्म विरोधी माना जाए? उन्होंने कहा संतों की एक परंपरा होती है। हमारे यहां परंपरा में राज धर्म का भी महत्व है। संत किसी पार्टी का नहीं होता लेकिन यदि कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध कर व्यवस्था दुरुस्त करने में उसे अहम भूमिका निभानी ही चाहिए।
मैं कांग्रेसी कैसे?
इस सवाल पर कि आप पर हमेशा कांग्रेसी आचार्य होने का आरोप लगता रहा है, शंकराचार्यजी ने कहा कि मैं किसी कांग्रेसी के घर नहीं जाता, हम तो संत हैं, यदि वे मार्गदर्शन-दर्शन के लिए आते हैं तो हम उन्हें रोक नहीं सकते। हम सबके लिए हैं, तभी तो हमें जगद् गुरु कहा जाता है।
क्या गंगा में गंदगी बहने दें?
स्वामीजी ने कहा गंगा में कारखानों का केमिकल और ड्रेनेज की गंदगी बहाई जा रही है। उत्तराखंड में ही गंगा पर 70 से जयादा बांध बनाए गए हैं। इस पर यदि संत गंगा को निर्मल रखने के लिए कहता है तो क्या वह राजनीतिक है? अनाज में यूरिया और अन्य केमिकल के तत्व आ रहे हैं। कीटनाशकों की बदौलत उसके कीड़े अत्यधिक जहरीले हो गए हैं। क्या संत इसका विरोध नहीं कर सकते?
क्या वे हमें गाइड करेंगे?
स्वरूपानंदजी ने कहा कि आद्य शंकराचार्य 2500 साल पहले हुए थे और तब से हमारी परंपरा चल रही है। डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर, सुदर्शन आदि 125 साल से ज्यादा के नहीं हैं। हम उन्हें गाइड करेंगे या वे हमें गाइड करेंगे?
युवाओं को दें संस्कारों की शिक्षा
देश में बढ़ते दुष्कृत्यों की घटना पर शंकराचार्यजी ने कहा यह कृत्य युवाओं ने ही किए हैं और वे ही विरोध के लिए भी खड़े दिखाई देते हैं। वास्तव में युवाओं में संस्कारों की शिक्षा की खास जरूरत है। उन्हें यह समझाना होगा कि जैसा व्यवहार आप अपनी बहन-बेटी के लिए चाहते हैं वैसा ही व्यवहार आप दूसरों के साथ भी करें। संत को उसके आचरण से परखो
जगद् गुरु ने माना कि यह सच है कि देश में कई नकली शंकराचार्य और संत घूम रहे हैं, लेकिन लोग जानते हैं कि कौन असली है और कौन नकली। संत की पहचान उसके आचरण से ही हो जाती है। आजकल के संत ढाबे पर खा रहे हैं।
Wednesday, April 6, 2011
हमारा ब्राह्मण समाज - एक नजर
अपने बारे में जानिए...
-ब्राह्मण समाज जनसंख्या के आधार पर भारत में दूसरे, एशिया में पांचवें और पूरी दुनिया में ग्यारहवें स्थान पर है।
-गुजरात के ७० फीसदी और पूरे देश के १५ फीसदी व्यवसायी ब्राह्मण हैं।
-ब्राह्मण समाज पूरी दुनिया में चौथे नंबर का आर्थिक रूप से सम्पन्न समाज है।
-भारत से विदेश जाने वाले सभी लोगों में ३५ प्रतिशत ब्राह्मण समाज के लोग हैं।
-ब्राह्मण समाज के ३६० से भी ज्यादा उपनाम (सरनेम) हैं।
-ब्राह्मण समाज जनसंख्या के आधार पर भारत में दूसरे, एशिया में पांचवें और पूरी दुनिया में ग्यारहवें स्थान पर है।
-गुजरात के ७० फीसदी और पूरे देश के १५ फीसदी व्यवसायी ब्राह्मण हैं।
-ब्राह्मण समाज पूरी दुनिया में चौथे नंबर का आर्थिक रूप से सम्पन्न समाज है।
-भारत से विदेश जाने वाले सभी लोगों में ३५ प्रतिशत ब्राह्मण समाज के लोग हैं।
-ब्राह्मण समाज के ३६० से भी ज्यादा उपनाम (सरनेम) हैं।
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